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Wednesday, March 17, 2021

 
माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र ||

कदम्ब वन चारिणी मुनि कदम्ब कदम्ब कादम्बिनी, नितम्ब जित भूधरा सुर नितम्बिनी सेवितां |


नवाम्बू रूह्लोचना ममि नवाम्बुदः श्यामला, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |1|

कदम्ब वन वासिनी कनक बल्लकी धारिणी, महा मणि हारिणी मुखसमुल्ल शद्वारूणी| 

दया विभव कारिणी विशद लोचनी चारिणी, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |2|

कदम्ब वन शालया कुच भशेल्ल सन्मालया, कुचोपमित शैलया गुरुकृपाल्लश द्वेलया | 

भदारुण कपोलया मधुर गीत वाचालया , कयापि घन नीलया कवचिता वय लीलया |3| 

कदम्ब वन मध्यगा कनक मण्डलो पस्यितां, खड़म्बु रूह वासिनी सतत शिद्ध सौदामिनिम | 

विडम्तित जपारुचिं विक चन्यंद्र चूड़ामिणी, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |4| 

कुचांचित विपंचिका कुटिल कुन्तला लंकृतां, कुशेशय निवाशिनी कुटिलचित्त विद्वेशिणी |

मदरूण विलोचनां मनसिजारी सम्मोहिनिमा, मतंग मुनिकन्यकां मधुर भाषिणी माश्रये |5|

स्मरेत्प्रथम पुष्पिणी रुधिर विन्दुनीलाम्बरा, गृहीत माधुपत्रिका मधु विधुर्ण नेत्रान्चालां |

घनस्तन भरोन्नता पलित चुलिकां श्यामला, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |6|

सुकुंकुम विलेपनां मालक चुम्बि कस्तूरिकां, समंद हसितेक्षणां सशरचाप पाशांकुशां | 

असेष जनमोहिनी मरूण माल्य भुषाम्बरा, जपाकुशुम भाशुरां जपविधौ स्मराम्यम्बिकाम |7| 

पुरंदर पुरान्ध्रिका चिकुरबंध सौरंध्रिका, पितामह पतिव्रतां पटुपटीर चचरितां | 

मुकुंद रमणी मणि भश्दलंक्रिया कारिणी, भजामि भुवनम्बिकां सुखधुटिका चोटिकाम |8| 

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