बीज मंत्रों
बीज मंत्रों के नियमित जप से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसा व्यक्ति जीवन-मृत्यु के भय से मुक्त होकर अपना जीवन जीता है और अंत में मोक्ष गति को प्राप्त होता है।
भगवान श्री गणेश का बीज मंत्र "गं" है।
इस बीज मंत्र के नियमित जप से बुद्धि का विकास होता है और घर में धन संपदा की वृद्धि होती है।
भगवान शिव का बीज मंत्र "ह्रौं" है।
भगवान शिव के इस बीज मंत्र के जप से भोलेनाथ अतिशीघ्र प्रसन्न होते है। इस बीज मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है व रोग आदि से छुटकारा मिलता है।
भगवान श्री विष्णु का बीज मंत्र "दं" है।
जीवन में हर प्रकार के सुख और एश्वर्य की प्राप्ति हेतु इस बीज मंत्र द्वारा भगवान श्री विष्णु की आराधना करनी चाहिए।
भगवान श्री राम का बीज मंत्र "रीं" है।
जिसे भगवान श्री राम के मंत्र के शुरू में प्रयोग करने से मंत्र की प्रबलता और भी अधिक हो जाती है। भगवान श्री राम के बीज मंत्र को इस प्रकार से प्रयोग करें-
रीं रामाय नमः।
हनुमान जी का बीज मंत्र "हं" है।
भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की आराधना कलयुग के समय में शीघ्र फल प्रदान करने वाली है। ऐसे में बीज मंत्र द्वारा उनकी आराधना आपके सभी दुखों को हराने में सक्षम है।
भगवान श्री कृष्ण का बीज मंत्र "क्लीं" है।
जिसका उच्चारण अकेले भी किया जा सकता है एवं भगवान श्री कृष्ण के वैदिक मंत्र के साथ भी किया जाता है। इस बीज मंत्र का प्रयोग इस प्रकार करें-
"क्लीं कृष्णाय नमः"
शक्ति स्वरुप माँ दुर्गा का बीज मंत्र "दूं" है।
जिसका अर्थ है- हे माँ, मेरे सभी दुखों को दूर कर मेरी रक्षा करो।
माँ काली का बीज मंत्र "क्रीं" है।
जीवन से भय, ऊपरी बाधाओं, शत्रुओं के छूटकारा दिलाने में मां काली के बीज मंत्र द्वारा उनकी आराधना विशेष रूप से लाभ प्रदान करने वाली है। इस बीज मन्त्र का प्रयोग इस प्रकार करें-
"ॐ क्रीं कालिकाय नम:"
देवी लक्ष्मी का बीज मंत्र "श्रीं" है।
देवी लक्ष्मी को स्वभाव से चंचल माना गया है। इसलिए वे अधिक समय के लिए एक स्थान पर नहीं रूकती। घर में धन-सम्पति की वृद्धि हेतु मां लक्ष्मी के इस बीज मंत्र द्वारा आराधना से लाभ अवश्य प्राप्त होता है।
मां सरस्वती का बीज मंत्र "ऐं" है।
माता सरस्वती विद्या को देने वाली देवी है परीक्षा में सफलता के लिए व हर प्रकार के बौद्धिक कार्यों में सफलता हेतु माँ सरस्वती के इस बीज मंत्र का जप प्रभावी सिद्ध होता है और भी कुछ बीज मंत्र ऐसे है जो सूचक है उस परमपिता परमेश्वर के जो समस्त ब्रम्हांड के रचियता और रक्षक है।
ये बीज मंत्र इस प्रकार है-
"ॐ" "खं" "कं"
ये तीनों बीज मंत्र ब्रह्म वाचक है।
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