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Thursday, February 24, 2022

बीज 


ऐं (सरस्वती बीज)

ऐ- सरस्वती, नाद- जगन्माता और बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र के जप से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और विद्या, कला के क्षेत्र में व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता चला जाता है।


गं (गणपति बीज)

इसमें ग्- गणेश, अ- विघ्ननाशक एवं बिंदु- दुखहरण हैं। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है- विघ्ननाशक श्री गणेश मेरे दुख दूर करें। इस मंत्र के जप से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है और पैसा आने लगता है।


श्रीं (लक्ष्मी बीज)

इसमें श्- महालक्ष्मी, र्- धन संपत्ति, ई- महामाया, नाद- विश्वमाता तथा बिंदू- दुखहरण हैं। इसका अर्थ है- धन संपत्ति की अधिष्ठात्री माता लक्ष्मी मेरे दुख दूर करें। इस मंत्र के प्रयोग से सभी प्रकार के आर्थिक संकट दूर होते हैं, कर्ज से मुक्ति मिलती है और शीघ्र ही धनवान व पुत्रवान बनते हैं।


क्लीं (कृष्ण बीज)

इसमें क- श्रीकृष्ण, ल- दिव्यतेज, ई- योगेश्वर एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज का अर्थ है- योगेश्वर श्रीकृष्ण मेरे दुख दूर करें। यह मंत्र साक्षात भगवान वासुदेव को प्रसन्न करने के लिए है। इससे व्यक्ति को अखंड सौभाग्य मिलता है और मृत्यु के उपरांत वह बैकुंठ में जाता है।


हं (हनुमद् बीज)

इसमें ह्- हनुमान , अ- संकटमोचन एवं बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- संकटमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें। बजरंग बली की आराधना के लिए इससे बेहतर मंत्र नहीं है।


हौं (शिव बीज)

इस बीज में ह्- शिव ?, औ- सदाशिव एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज का अर्थ है- भगवान शिव मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं और रोग, शोक, कष्ट, निर्धनता आदि से मुक्ति मिलती है।


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