Sunday, September 28, 2025

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

 

 

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

कंठी झलके माल मुकताफळांची

 

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति

जय देव जय देव

 

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

 

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति

जय देव जय देव

 

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

 

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति

जय देव जय देव

श्री देवीची आरती

 


 श्री देवीची आरती

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी

अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी

वारी वारीं जन्ममरणाते वारी

हारी पडलो आता संकट नीवारी

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी

सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी धृ.

 

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही

चारी श्रमले परंतु बोलावे काहीं

साही विवाद करितां पडिले प्रवाही

ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी

सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी धृ.

 

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां

क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा

अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा

नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी

सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी धृ.

शंकराची आरती

 


 शंकराची आरती

लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा

वीषें कंठ काळा त्रिनेत्रीं ज्वाळा

लावण्यसुंदर मस्तकीं बाळा

तेथुनियां जल निर्मळ वाहे झुळझूळां

जय देव जय देव जय शिवशंकरा  स्वामी शंकरा

आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा ध्रु०

कर्पूरगौरा भोळा नयनीं विशाळा

अर्धांगीं पार्वती सुमनांच्या माळा

विभुतीचें उधळण शितिकंठ नीळा

ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा  

जय देव जय देव जय शिवशंकरा  स्वामी शंकरा

 

देवीं दैत्य सागरमंथन पै केलें

त्यामाजीं जें अवचित हळाहळ उठिलें

तें त्वां असुरपणें प्राशन केलें

नीळकंठ नाम प्रसिद्ध झालें

जय देव जय देव जय शिवशंकरा  स्वामी शंकरा

 

व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी

पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी

शतकोटीचें बीज वाचे उच्चारी

रघुकुळटिळक रामदासा अंतरीं  

जय देव जय देव जय शिवशंकरा  स्वामी शंकरा

ॐ जय जगदीश हरे,

 


  जय जगदीश हरे,

 

जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे

जय जगदीश हरे..

 

जो ध्यावे फल पावे,

दुःख बिनसे मन का,

स्वामी दुःख बिनसे मन का

सुख सम्पति घर आवे,

सुख सम्पति घर आवे,

कष्ट मिटे तन का

जय जगदीश हरे..

 

मात पिता तुम मेरे,

शरण गहूं किसकी,

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी

तुम बिन और दूजा,

तुम बिन और दूजा,

आस करूं मैं जिसकी

जय जगदीश हरे..

 

तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी,

स्वामी तुम अन्तर्यामी

पारब्रह्म परमेश्वर,

पारब्रह्म परमेश्वर,

तुम सब के स्वामी

जय जगदीश हरे..

 

तुम करुणा के सागर,

तुम पालनकर्ता,

स्वामी तुम पालनकर्ता

मैं मूरख फलकामी,

मैं सेवक तुम स्वामी,

कृपा करो भर्ता॥

जय जगदीश हरे..

 

तुम हो एक अगोचर,

सबके प्राणपति,

स्वामी सबके प्राणपति

किस विधि मिलूं दयामय,

किस विधि मिलूं दयामय,

तुमको मैं कुमति

जय जगदीश हरे..

 

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

ठाकुर तुम मेरे,

स्वामी रक्षक तुम मेरे

अपने हाथ उठाओ,

अपने शरण लगाओ,

द्वार पड़ा तेरे

जय जगदीश हरे..

 

विषय-विकार मिटाओ,

पाप हरो देवा,

स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

सन्तन की सेवा

 

जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे

जय अम्बे गौरी

 


जय अम्बे गौरी,

 

 

जय अम्बे गौरी,

मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशदिन ध्यावत 2

हरि ब्रह्मा शिवरी ॥2

जय अम्बे गौरी..

 

मांग सिंदूर विराजत,

टीको मृगमद को 2

उज्ज्वल से दोउ नैना,2

चंद्रवदन नीको

जय अम्बे गौरी..

 

कनक समान कलेवर,

रक्ताम्बर राजै 2

रक्तपुष्प गल माला,2

कंठन पर साजै

जय अम्बे गौरी..

 

केहरि वाहन राजत,

खड्ग खप्पर धारी 2

सुर-नर-मुनिजन सेवत,

तिनके दुखहारी

जय अम्बे गौरी..

 

कानन कुण्डल शोभित,

नासाग्रे मोती 2

कोटिक चंद्र दिवाकर,2

सम राजत ज्योती

जय अम्बे गौरी..

 

शुंभ-निशुंभ बिदारे,

महिषासुर घाती 2

धूम्र विलोचन नैना,2

निशदिन मदमाती

जय अम्बे गौरी..

 

चण्ड-मुण्ड संहारे,

शोणित बीज हरे 2

मधु-कैटभ दोउ मारे,2

सुर भयहीन करे

जय अम्बे गौरी..

 

ब्रह्माणी, रूद्राणी,

तुम कमला रानी 2

आगम निगम बखानी,2

तुम शिव पटरानी

जय अम्बे गौरी..

 

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,

नृत्य करत भैरों 2

बाजत ताल मृदंगा,2

अरू बाजत डमरू

जय अम्बे गौरी..

 

तुम ही जग की माता,

तुम ही हो भरता |2

भक्तन की दुख हरता ।2

सुख संपति करता

जय अम्बे गौरी..

 

भुजा चार अति शोभित,

वर मुद्रा धारी 2

मनवांछित फल पावत,2

सेवत नर नारी

जय अम्बे गौरी..

 

कंचन थाल विराजत,

अगर कपूर बाती 2

श्रीमालकेतु में राजत,2

कोटि रतन ज्योती

जय अम्बे गौरी..

 

श्री अंबेजी की आरति,

जो कोइ नर गावे 2

कहत शिवानंद स्वामी,2

सुख-संपति पावे

जय अम्बे गौरी..

 

जय अम्बे गौरी,

मैया जय श्यामा गौरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली

 अम्बे तू है जगदम्बे काली



अम्बे तू है जगदम्बे काली

जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गायें भारती
मैया हम सब उतारे तेरी आरती
मैया हम सब उतारे तेरी आरती


तेरे भक्त जनों पे माता भीड़ पड़ी है भारी
भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी
माँ करके सिंह सवारी
सौ-सौ सिहों से भी बलशाली
अष्टभुजाओं वाली
दुश्टों को तू ही घन तारती
मैया हम सब उतारे तेरी आरती


माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता
बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता
माता सुनी कुमाता
सब पे करुणा दर्शाने वाली
अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
मैया हम सब उतारे तेरी आरती


नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना
ना चांदी ना सोना
हम तो मांगे माँ तेरे चार्णो में एक छोटा सा कोना
एक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली
लाज बचाने वाली
सतियों के सत को संवारती
मैया हम सब उतारे तेरी आरती


चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली
ले पूजा की थाली
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली
माँ संकट हरने वाली
मय्या भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली
भक्तों के कारज तू ही सारती
मैया हम सब उतारे तेरी आरती