Thursday, February 18, 2021
गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः
तत् सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र का अर्थ: " हम अपने प्रभु से बिनंती करते है, जो पूजनीय है,जो दुखों का नाश करने वाले है,जो सुख के भंडार है ,जो ज्ञान का भंडार है,अज्ञान को दूर करने वाला हैं-
जो कर्मो का उद्धार करने वाले है। ऐसे प्रभु से नीबेधन है वह हमें आत्म चिंतन करने की शक्ति दे ताकि हम सत्य पथ पर चले ।"
गायत्री मंत्र के हर शब्द का अर्थ -
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण- ्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
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