Thursday, February 18, 2021

माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र || 



कदम्ब वन चारिणी मुनि कदम्ब कदम्ब कादम्बिनी, नितम्ब जित भूधरा सुर नितम्बिनी सेवितां |


नवाम्बू रूह्लोचना ममि नवाम्बुदः श्यामला, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |1|


कदम्ब वन वासिनी कनक बल्लकी धारिणी, महा मणि हारिणी मुखसमुल्ल शद्वारूणी|


दया विभव कारिणी विशद लोचनी चारिणी, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |2|


कदम्ब वन शालया कुच भशेल्ल सन्मालया, कुचोपमित शैलया गुरुकृपाल्लश द्वेलया |


भदारुण कपोलया मधुर गीत वाचालया , कयापि घन नीलया कवचिता वय लीलया |3|


कदम्ब वन मध्यगा कनक मण्डलो पस्यितां, खड़म्बु रूह वासिनी सतत शिद्ध सौदामिनिम |


विडम्तित जपारुचिं विक चन्यंद्र चूड़ामिणी, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |4|


कुचांचित विपंचिका कुटिल कुन्तला लंकृतां, कुशेशय निवाशिनी कुटिलचित्त विद्वेशिणी |


मदरूण विलोचनां मनसिजारी सम्मोहिनिमा, मतंग मुनिकन्यकां मधुर भाषिणी माश्रये |5|


स्मरेत्प्रथम पुष्पिणी रुधिर विन्दुनीलाम्बरा, गृहीत माधुपत्रिका मधु विधुर्ण नेत्रान्चालां |


घनस्तन भरोन्नता पलित चुलिकां श्यामला, त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये |6|


सुकुंकुम विलेपनां मालक चुम्बि कस्तूरिकां, समंद हसितेक्षणां सशरचाप पाशांकुशां |


असेष जनमोहिनी मरूण माल्य भुषाम्बरा, जपाकुशुम भाशुरां जपविधौ स्मराम्यम्बिकाम |7|


पुरंदर पुरान्ध्रिका चिकुरबंध सौरंध्रिका, पितामह पतिव्रतां पटुपटीर चचरितां |


मुकुंद रमणी मणि भश्दलंक्रिया कारिणी, भजामि भुवनम्बिकां सुखधुटिका चोटिकाम |8|


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