Friday, May 7, 2021

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्

आदिलक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये 
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते । 
पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥

धान्यलक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये 
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 2 ॥


धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये 
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते । 
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते 
जय जयहे मधु सूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥

गजलक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये 
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते । 
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥

सन्तानलक्ष्मी
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये 
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 5 ॥

विजयलक्ष्मी
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये 
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते । 
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 6 ॥

विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये 
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥

धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये 
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥

फलशृति
श्लो॥ अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । 
विष्णुवक्षः स्थला रूढे भक्त मोक्ष प्रदायिनि ॥
श्लो॥ शङ्ख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलं शुभ मङ्गलम् ॥

No comments:

Post a Comment