शंख
शंख को घर के पूजा स्थल में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। वेद पुराणों की मानें तो शंख समुद्रमंथन के दौरान उत्पन्न हुआ है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जहां शंख होता है वहां महालक्ष्मी का वास होता है। शंख की आवाज से वातावऱण में शुद्धता आती है। भारतीय संस्कृती और बौद्ध धर्म में शंख का महत्व काफ़ी ज़्यादा है। पूजा पाठ में तो इसे इस्तेमाल किया ही जाता है, साथ ही इसकी पूजा भी की जाती है। हर अच्छी शुरुआत से पहले इसे बजाना शुभ माना जाता है। साथ ही ये भी मान्यता है कि महाभारत की शुरूआत भी श्री कृष्ण के शंखनाद से ही हुई थी।
क्या आप जानते हैं कि शंख के भी प्रकार होते हैं, जिसे अलग-अलग तरीके से उपयोग में लाया जाता है।
1. दक्षिणावर्ती शंख, 2. वामावर्ती शंख, 3. गौमुखी शंख, 4. कौड़ी शंख,5. मोती शंख, 6. हीरा शंख
शंख में ये चीज डाल रखें इस दिशा में, होगी धन-धान्य एवं आर्थिक समृद्धि
शंख को कुबेर का भी प्रतीक माना जाता है, जो धन के देवता हैं। यही कारण है कि लोग इसकी पूजा करते हैं।शंखनाद करने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है। ये भी कहा जाता है कि शंखनाद करने से दिल की बीमारी नहीं होती।
भारतीय संस्कृति में ये भी माना जाता है कि भगवान विष्णु के 4 हाथों में से एक हाथ में शंख होता है, और उन्हें सुदर्शन चक्र की ही तरह शंख से भी प्रेम है। जहां शंख की पूजा होती है, भगवान विष्णु उस जगह ज़रूर वास करते हैं। पुराण और वेदो में भी इसका ज्रिक किया गया है। बताया जाता है कि शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसके बाद उसे भगवान विष्णु ने धारण किया था। शंख के आगे के हिस्से में सूर्य और वरूण देव का वास होता है जो घर में सकारात्मक उर्जा फैलाते हैं। साथ ही उसके पिछले हिस्से को गंगा का रूप माना जाता है जो शुद्धता का प्रतीक होता है। शंखनाद करने से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे कई तरह के सूक्ष्म जीवाणु भी मारे जाते हैं।
विज्ञान भी शंखनाद की उपयोगिता को मानता है. इसके उपयोग से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं और दिल की किसी भी तरह की बीमारी का डर खत्म होता है। अगर आपको रक्तचाप की समस्या है तो उसका भी रामबाण इलाज है शंखनाद।
शंखनाद करते वक़्त कुछ बातों का ध्यान रखना काफ़ी महत्वपूर्ण होता है:
जिस शंख को बजाया जाता है उसे पूजा के स्थान पर कभी नहीं रखा जाता
जिस शंख को बजाया जाता है उससे कभी भी भगवान को जल अर्पण नहीं करना चाहिए
एक मंदिर में या फ़िर पूजा स्थान पर कभी भी दो शंख नहीं रखने चाहिए
पूजा के दौरान शिवलिंग को शंख से कभी नहीं छूना चाहिए
भगवान शिव और सूर्य देवता को शंख से जल अर्पण कभी भी नहीं करना चाहिए
पूजा की शुरूआत और पूजा में आरती के बाद शंख को बजाया जाता है। पूजा में शंख को बजाने को लेकर कई नियम हैं।
1.धार्मिक मान्यताओं की मानें तो शंख का संबंध भगवान विष्णु से है। इस भगवान विष्णु के चार आयुध शस्त्रों में गिना जाता है। भगवान विष्ण के हाथों में चक्र, गदा, पदम यानी कमल का फूल और की तरह शंख भी होता है।
2.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार य़ह भी कहा जाता है कि कहा जाता है कि पूजा में जब शंख बजाया जाता है तो इसकी ध्वनि से आकर्षित होकर भगवान विष्णु पूजा स्थल की ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इससे न सिर्फ शंख बजाने वाले को लाभ होता है बल्कि जो पूजा में शामिल हैं उन्हें भी इसका फायदा मिलता है।
3.शंख को पूजा स्थल में कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। इसके साथ ही शंख को घर के पूजा के कमरे में आसन पर रखना चाहिए।
4. घर में शंख को सबुह और शाम ही बजाना चाहिए। इसके अलावा शंखो को नहीं बजाना चाहिए।
5. मंदिर में एक से ज्यादा शंख नहीं होने चाहिए।
6. शंख को होली, दिवाली जैसे शुभ मुहर्त में ही पूजा स्थल में स्थापित किया जाना चाहिए।
7.अपना शंख न तो किसी को इस्तेमाल करने दें और न ही किसी और का शंख आप इस्तेमाल करें।
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अगर आपको शंख खरीद के घर लाना है तो दो शंख लाएं और इन दोनों को अलग अलग रखें।
2. बजने वाले शंख को पानी से धोना चाहिए लेकिन इसे किसी मंत्र से अभीमंत्रित नहीं करना चाहिए। शंख को पूजा स्थल में पीले कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए।
3. और पूजा करने वाले शंख को गंगाजल से धोना चाहिए साथी सफ़ेद कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए।
4 पूजा में इस्तेमाल होने वाले शंख को किसी ऊंची जगह पर रखना चाहिए। वहीँ बाजाने वाले शंख को उससे नीची जगह पर रखना चाहिए।
5. एक ही मंदिर में दो तरह के शंख नहीं रखने चाहिए। अगर दो रखने भी हैं तो एक बजाने के लिए रखें और एक पूजा करने के लिए।
6. शंख कभी भी शिवलिंग के आस पास नहीं रखना चाहिए, और यदि रखना है भी तो उसे छूना नहीं चाहिए।
7. शंख को कभी भी भगवान शिव या भगवान सूर्य को पानी चढ़ाने के लिए नहीं इस्तेमाल करना चाहिए।
मंदिर में की जाने वाली आरती हो या कोई भी धार्मिक समारोह, शख की ध्वनि को बजाना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार पूजा-पाठ के समस्त कार्य तीन बार शंख बजाने से शुरू किए जाते हैं। माना जाता है कि इससे वातावरण में से सभी प्रकार की अशुद्धियां का नाश होता है और हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा का भी अंत होता है। जिससे व्यक्ति को बहुत लाभ मिलते हैं। शंख की ध्वनि से न केवल वातावरण शुद्घ होता है बल्कि देवता भी हमारी ओर आकर्षित होते हैं। इसके अलावा शंख की ध्वनि से पूजा की विविध वस्तुओं में चेतना जागृत होती है, जिससे हमारे द्वारा की गई पूजा सार्थक होती है।
माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय निकलने वाले चौदह रत्नों में से एक रत्न शंख भी था। धार्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बहु उपयोगी है। शंख बजाने से कुंभक, रेचक तथा प्राणायाम क्रियाएं एक साथ होती हैं, जिससे स्वास्थ्य सही बना रहता है। यह कैल्शियम कार्बोनेट से बना होता है। यदि शंख में रातभर गंगाजल भरकर प्रातः सेवन किया जाए, तो शरीर में कैल्शियम तत्व की कमी नहीं होती है। आयुर्वेद के अनुसार, शंख की भस्म के औषधीय प्रयोग से हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, मंदाग्नि, मस्तिष्क और स्नायु तंत्र से जुड़े रोगों में लाभ मिलता है। लयबद्ध ढंग से शंख बजाने से फेफड़ों को मजबूती मिलती है, जिससे शरीर में शुद्ध आक्सीजन का प्रवाह होने से रक्त भी शुद्ध होता है।
कहा जाता है कि दक्षिणवर्ती शंख धन की देवी लक्ष्मी का स्वरूप है, इसलिए धन लाभ और सुख-समृद्धि के लिए घर में उत्तर-पूर्व दिशा में अथवा पूजा घर में इसे रखना चाहिए। प्रतिदिन इसकी धूप दीप दिखाकर पूजा करनी चाहिए। पितृ दोष के असर से बचने के लिए दक्षिणवर्ती शंख में पानी भरकर अमावस्या और शनिवार के दिन दक्षिण दिशा में मुख करते हुए तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होकर शुभ आशीर्वाद देते हैं, जिससे गृह कलह, कार्यों में बाधा, संतानहीनता और धन की कमी जैसी समस्याएं दूर होने लगती हैं।
नवग्रहों की शांति एवं प्रसन्नता के लिए भी शंख को उपयोगी रत्न माना गया है। सूर्य ग्रह की प्रसन्नता के लिए सूर्योदय के समय शंख से सूर्यदेव पर जल अर्पित करना चाहिए। चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए शंख में गाय का कच्चा दूध भरकर सोमवार को भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए। मंगल ग्रह को अपने अनुकूल बनाने के लिए मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करते हुए शंख बजाना आसान और श्रेष्ठ उपाय है।
बुध ग्रह की प्रसन्नता के लिए शंख में जल और तुलसी दल लेकर शालिग्राम पर अर्पित करना चाहिए, वहीं गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को दक्षिणवर्ती शंख पर केसर का तिलक लगाकर पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए शंख को श्वेत वस्त्र में लपेट कर पूजा घर में रखना चाहिए। धन-धान्य एवं आर्थिक समृद्धि पाने के लिए शंख में चावल भरकर लाल रंग के वस्त्र में लपेट कर उत्तर दिशा की ओर खुलने वाली तिजोरी अथवा धन रखने वाली अलमारी में रखना चाहिए।
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