Monday, March 15, 2021

श्री शालिग्राम जी की आरती

शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।
यह बरदान दयाकर पाऊं ।।

प्रात: समय उठी मंजन करके ।
प्रेम सहित सनान  कराऊँ ।।
चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।

वरन -बरन के पुष्प चढ़ाऊँ ।।
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।

प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ।।
चरण धोय चरणामृत लेकर ।

कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ।।
जो कुछ रुखा सूखा घर में ।

भोग लगाकर भोजन पाऊं ।।
मन वचन कर्म से पाप किये ।

जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ।।
ऐसी कृपा करो मुझ पर ।

जम के द्वार जाने न पाऊं ।।
माधोदास की बिनती एहि है ।
हरी दासन का दास कहाऊं ।।

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